जांजगीर-चाम्पा जिले के अधिकारी सुस्त, कानून व्यवस्था फुस, जनता के जान से जिम्मेदार ही कर रहे हैं खिलवाड़

जांजगीर-चांपा : त्योहारों के सीजन में जांजगीर-चांपा जिले में कानून व्यवस्था और जन सुरक्षा पूरी तरह से ‘सुस्त नज़र आ रही है. जिले के अधिकारी ‘दिवाली की छुट्टियों’ में डूबे हुए हैं, वहीं उनकी लापरवाही से आम जनता की जान से सीधा खिलवाड़ हो रहा है। अस्थाई फटाका दुकानों के लिए बनाए गए कड़े 12-बिंदुओं के सुरक्षा गाइडलाइन का जिले में कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। नियमों को ताक पर रखकर, बारूद के ढेर पर ‘अस्थाई फटाखा दुकान का स्टाल’ सजा दी गई है और प्रशासन अपने ही बनाए गाइडलाइंस के पालन करने में बेबस दिख रहा है।
गाइडलाइन की धज्जियां: ‘टीन शेड’ की जगह ‘बांस-बल्ली’
अस्थाई पटाखा दुकानों के लिए स्पष्ट निर्देश हैं कि दुकानें अज्वलनशील सामग्री जैसे टिन शेड से बननी चाहिए और उनके बीच 3 मीटर की दूरी अनिवार्य है। लेकिन जांजगीर के हाई स्कूल मैदान, चांपा नगर पालिका के भालेराव मैदान और अकलतरा नगर पालिका में लगने वाली अस्थाई पटाखा दुकानें आज भी बांस और कपड़े के सहारे खड़ी हैं, जो एक मामूली चिंगारी को भी भीषण अग्निकांड में बदल सकती है! हर दुकान पर अनिवार्य 5 किलो क्षमता का डीसीपी अग्निशमक यंत्र और पानी के ड्रम की व्यवस्था भी नदारद है।

पुरानी घटना का जिलेवासियों में खौफ:
2022-23 में अस्थाई पटाखा दुकानों भी लगी थी भीषण आग
सबसे सनसनीखेज बात यह है कि जिला प्रशासन ने पिछले वर्षों की घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया। वर्ष 2022-23 में भी जांजगीर के हाई स्कूल मैदान के फटाका दुकानों में भीषण आग लग चुकी थी, जहाँ एक बड़ा हादसा होते-होते बचा था। उस समय भी सुरक्षा मानकों में कमी सामने आई थी। इसके बावजूद, इस साल फिर से खतरनाक और असुरक्षित व्यवस्था को मंज़ूरी दे दी गई है।
ज़िम्मेदार ‘एसी रूम’ में, जनता राम भरोसे
सभा हॉल के एसी रूम में कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए अधिकारी लगातार बैठकों का दावा करने वाले अधिकारी ही, अब दिवाली मनाने में व्यस्त होकर बेबस नजर आ रहे हैं। जिले के जिम्मेदार अधिकारी अपने घर परिवार के साथ दिवाली मनाने में मस्त हैं और उनके सरकारी/सार्वजनिक फोन नंबर भी बंद आ रहे हैं! आशंका है कि किसी बड़ी अनहोनी की स्थिति में ये अधिकारी महज़ एसी रूम में बैठक कर मामले को रफा-दफा करने की मनसा रखेंगे, जबकि लापरवाही की गाज जनता पर गिरेगी।
सवाल: क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है?
जिला प्रशासन की यह घोर लापरवाही एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: क्या प्रशासन किसी भीषण अग्निकांड का इंतज़ार कर रहा है? बार-बार के निर्देशों, बैठकों और पिछली घटनाओं के बावजूद अगर सुरक्षा नियमों का पालन नहीं हो रहा, तो यह सीधे तौर पर जनता के जान-माल की सुरक्षा को लेकर ज़िम्मेदारों का खिलवाड़ है। त्यौहार के बाद प्रदेश की भाजपा सरकार, क्या इन लापरवाह अधिकारियों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी, या फिर हर बार की तरह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
