ट्रंप के सामने नहीं झुका भारत, 25% टैरिफ झेलने के बाद भी कई फायदे; जानें कैसे

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से चल रही ट्रेड डील डेडलाइन से पहले पूरी नहीं हुई। बुधवार, 30 जुलाई को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इसके अलावा उन्होंने रूस के साथ कारोबार करने के लिए भारत पर जुर्माना लगाने की बात भी कही है। हालांकि, जुर्माना कितना लगेगा या यह कैसे तय होगा इसको लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। भारत अमेरिका को जिन उत्पादों का ज्यादा निर्यात करता है, उसमें- दवाईयां, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्, और जेम्स एंड ज्वेलरी शामिल हैं। ये सभी उत्पाद ट्रंप के टैरिफ से प्रभावित होंगे।
जानकारों का कहना है कि टैरिफ के बाद भी भारत की स्थिति अमेरिका से हाल ही में ट्रेड समझौते करने वाले ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, वियतनाम, जापान और इंडोनेशिया के मुकाबल बेहतर रहेगी। इन देशों ने अमेरिका को काफी छुट दी है और अपना मार्केट अमेरिका के लिए पूरी तरह से खोल दिया है। जिससे भविष्य में इन देशों को घरेलू व्यापार, कृषि और ऑटो जैसे सेक्टरों को भारी नुकसान होने की आशंका है।
रिसर्च करने वाली संस्थान जीटीआरआई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माना लगाने की घोषणा भले ही गंभीर लग रही हो, लेकिन भारत की स्थिति अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने वाले देशों से ज्यादा खराब नीहं है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने कहा कि ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, जापान, इंडोनेशिया और वियतनाम अब हाई टैरिफ का सामना कर रहे हैं और बदले में ट्रंप को भारी छूट भी दे रहे हैं। जिसमें अमेरिकी कृषि उत्पादों पर जीरो टैरिफ, बड़े पैमाने पर निवेश के वादे और अमेरिकी तेल-गैस औह हथियार की खरीद शामिल हैं। जबकि भारत ने इस तरह का कोई समझौता नहीं किया है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप द्वारा भारत के उत्पादों पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ और जुर्माने भले ही कठोर लग सकती है, लेकिन करीब से देखने पर पता चलता है कि भारत की स्थिति अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने वाले अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा खराब नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत ने इस समझौते से पीछे नहीं हटा और सच्चे इरादे के साथ खुलकर अपनी बात रखी और 70 करोड़ से ज्यादा लोगों की आजीविका वाले कृषि क्षेत्र को खोलने से इनकार कर दिया।
हाल ही में अमेरिका ने यूरोपीय यूनियन, इंडोनेशिया, जापान और वियतनाम के साथ ट्रेड डील किए हैं। ये समझौते पूरी तरह से अमेरिका की ओर झुके हुए हैं। इन देशों ने जहां अमेरिकी उत्पादों पर बहुत कम टैरिफ लगाया है। वहीं, अमेरिकी टैरिफ 15 से 20 फीसदी तक है। EU से समझौते के बाद अमेरिका अब यूरोपीय उत्पादों पर 15 फीसदी की रेट से टैरिफ लगाएगा। EU ने अमेरिका से 750 अरब डॉलर की एनर्जी खरीदने और 600 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। अमेरिकी कृषि उत्पादों की पहुंच ईयू देशों में आसान होगी।