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Baheradih News : बहेराडीह के युवा कृषक दीनदयाल यादव को भारत में जामुन का मिला पेटेंट, 18 साल बाद पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण से कराना होगा रिन्युअल

जांजगीर-चाम्पा. जिले के एक छोटे से गांव बहेराडीह में रहने वाले युवा कृषक दीनदयाल यादव को भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने भारत में जामुन का पेटेंट प्रदान किया है। विगत 30 दिसंबर 2016 को इंदिरा गाँधी क़ृषि विश्वविद्यालय रायपुर के पादप प्रजनन विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ दीपक शर्मा के मार्गदर्शन में राज्य सरकार एवं क़ृषि विभाग, क़ृषि विज्ञान केंद्र और क़ृषि महाविद्यालय के सहयोग से निर्धारित प्रारूप में आवेदन किया था, जिसे सत्यापन करने भारत सरकार के निर्देश पर केंद्रीय फल अनुसन्धान केंद्र लखनऊ के वैज्ञानिकों द्वारा दो चरण में मौके पर पहुँचकर बारीकी से भौतिक सत्यापन किया। सत्यापन के पश्चात् 03 अक्टूबर 2025 कों भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली ने पंजीकरण पर मुहर लगाई है, जिसका पंजीकरण नंबर 2164 प्रदान किया गया है, जिसे 18 साल के बाद 02 अक्टूबर 2043 को रिन्युअल कराने कहा गया है.

 

 

बहेराडीह गाँव के युवा प्रगतिशील नवाचारी किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि जामुन फ़सल की कृषक पौधा किस्म राय जाम विकसित किया है और वह उसका वास्तविक प्रजानक या उनका विधिक प्रतिनिधि या समनुदेशिकी है और पौधा किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार अधिनियम, 2001 के उपबंधों को ध्यान में रखते हुए वह उक्त पौधा किस्म के अधिकार का हकदार है। वहीं उसके पक्ष में पौधा किस्म के पंजीकरण के प्रति कोई नहीं लें सकता।

 

भारत सरकार के पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से मिले रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र में उल्लेख किया गया है कि उक्त अधिनियम की धारा 47 में विनिर्दिष्ट शर्तों और तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा विनिर्दिष्ट शर्तों तथा उपबंधों के अधीन रहते हुए वर्ष 2025 के अक्टूबर माह की 03 तारीख से 09 वर्षो की अवधि के लिए एवं शेष वर्षो के लिए नवीनीकरण के उपरांत, उस किस्म के उत्पादन, विक्रय, विपरण, वितरण, आयात, या निर्यात करने और ऐसा करने के लिये किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत करने का अनन्य अधिकार होगा। इस शर्त के अधीन रहते हुये कि इस पंजीकरण की विधि मान्यता प्रत्याभूत नहीं की जाती और इस पंजीकरण को बनाये रखने के लिये विहित फीस का सम्यक रूप से संदाय किया जाता है। वार्षिक शुल्क पीपीवी और एफआर अधिनियम, 2001 की धारा 35 के अंतर्गत प्रति वर्ष जमा कराया जाना है। यह शुल्क भारत सरकार के शासकीय राजपत्र में अधिसूचना के अनुसार होगा। तथा यें प्राधिकरण की वेबसाईट पर उपलब्ध होगा। बृक्ष और लताओ के मामले में 09 वर्ष के बाद तथा अन्य फसलों के मामले में 06 वर्ष के बाद अदा किया जाना होता है।

 

 

रजिस्ट्रीकरण का विवरण
1, पंजीकरण संख्या रजि, 2016,2164,
2, फ़सल जामुन,
3, नाम राय जाम,
4, प्रदानीकरण की तिथि 03 अक्टूबर, 2025,
5, संरक्षण अवधि 18 वर्ष, प्रारम्भ में 09 वर्षो की अवधि के लिए एवं शेष वर्षो के लिए नवीनीकरण के उपरांत, 02 अक्टूबर 2043

जंगली पीला गेंदा और बेल का मिल चुका हैं पेटेंट
बलौदा ब्लॉक के अंतिम पूर्वी छोर में स्थित जाटा पंचायत के आश्रित ग्राम बहेराडीह के युवक कृषक दीनदयाल यादव को करीब 06 माह पहले ही भारत सरकार के उक्त प्राधिकरण के द्वारा जंगली पीला गेंदा और बेल का पेटेंट अर्थात रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।

2017-18 में मिल चुका पादप जिनोम संरक्षक कृषक सम्मान
क़ृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा केंद्रीय क़ृषि मंत्री के हाथों 2017,18 में इंदिरा गाँधी क़ृषि विश्वविद्यालय रायपुर के पादप, अनुवंशिकी विभाग प्रमुख वैज्ञानिक डॉ दीपक शर्मा के अनुशंशा पर बहेराडीह गाँव के युवा कृषक दीनदयाल यादव को पादप जिनोम संरक्षक कृषक सम्मान 01 लाख 50 हजार रूपये की धनराशि व प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था।

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